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रिश्ते

ये ढाई अक्षर का शब्द कितना प्यारा है, पर ये बहुत ही गहरा मतलब रखता है।मनुष्य जन्म से मृत्यु तक रिश्तो की उल्जन में उल्जा रहता है।हम हमेशा यह बात सोचते है कि मेरा तुजसे और तेरा मुझसे क्या रिश्ता है? मनुष्य जीवन के हर एक मोड़ पर एक दूसरे के साथ किसी न किसी रिश्ते से जुड़ा होता है, वो चाहे माँ- बेटी का हो,बाप- बेटे का हो,भाई -बहन का हो,पति-पत्नी,दोस्त का हो और कोई भी सामाजिक या व्यावसायिक रिश्ता हो। सभी रिश्तो में मनुष्य अपनापन खोजता है। हम अपनी पसंद कि चीज़ से भी एक रिश्ता जोड़ लेते है जिसे कोई छुए भी तो हम व्याकुल हो उठते हैं।हम चाहे भी तो किसी भी, एक बार जुड़े रिश्ते से कभी अलग नही हो सकते। आप सोचते होंगे की ये सच नही है,पर हा, यह सच है। हम जब किसी के कोई भी रिश्ता तोड़ते है तब भी हमारे मन में इनके बारे में ऐसा एक विचार रह जाता है कि वो मेरा /मेरी  -ये/वो -थी/था।बस इसी प्रकार वो रिश्ता हम से सदैव जुड़ा ही रहता है।

आम तौर पर रिश्तो में दो प्रकार है। विश्वास और धोका। रिश्ते विश्वास की बुनियाद पर टिके होते है पर कभी कभी इन में धोका भी हो जाता है। विश्वास से जुड़े रिश्ते सदैव टिके रहते है। रिश्ता लोगो का अपने वतन और अपने इलाके से भी जुड़ा होता है। 14 फरवरी 2019 को जो 44 जवान मरे गए उनका भी तो अपनी देशभूमि से गहरा रिश्ता था। वो सभी किसी के बेटे,किसी के पिता,किसी  के भाई तो किसी के पति थे पर उनका एक महत्व पूर्ण रिश्ता अपनी मातृभूमि से भी था और वो लोग इस रिश्ते के लिए अपनी जान दे सकते है पर धोका नही दे सकते।

रिश्तो की कीमत करना सीखो। जो लोग रिश्तो की कीमत नही जानते उन्हें बाद में पछताना पड़ता है। ये बहुत प्यारे होते है, बस इसे निभाया कैसे जाता है अगर इंसान यह सिख ले तो कभी कोई किसी का दुश्मन नहीं बनेगा।परिवार के साथ साथ हमारा अपने देशवासी ओ से भी हमारा  एक रिश्ता होता है। सभी एक साथ मिलझुल कर,रिश्ते बनाकर  रहेंगे तो कभी कोई  आतंकवादी हमारा बाल भी बांका नही कर सकेगा।


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